रेलवे हादसा ओडिशा😲ओडिशा के बालासोर में हुए भयानक ट्रेन दुर्घटना में अब तक 300 से अधिक लोगो की मौत हो चुकी है और लगभग 900 से अधिक लोग बुरी तरह से गंभीर हो गए है. यह भयानक ट्रेन हादसा एक बार फिर रेलवे की तकनिकी और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़ा कर दिए है, जिन्हें लेकर वे अपनी पीठ थपथपाती है |
⚪भारतीय रेलवे 'कवच टेक्नोलॉजी' के सफल परीक्षण के बाद भी इस बड़ी दुर्घटना को मात दे नहीं पाई. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बयाता कि जिस रूट पर यह 😲भयानक एक्सीडेंट हुआ वहां पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी ||
►➤ कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाईन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन) के माध्यम से विकसित किया है ||
►➤ इस सिस्टम पर रेलवे ने वर्ष 2012 में काम करना प्रारंभ किया था ||
►➤ उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम TCAS (Train Collision Avoidance System) था, इस सिस्टम को विकसित करने का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना था||
►➤ इसका पहला ट्रायल वर्ष 2016 में किया गया था, पिछले वर्ष इसका लाइव डेमो भी किया गया था||
👉अगर कोई ट्रेन चालक किसी सिग्नल को जम्प करता है तो कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है. कवच सिस्टम के एक्टिव होते ही ट्रेन के चालक (पायलट) को अलर्ट पहुँचता है. साथ ही कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स को भो कंट्रोल (नियंत्रण) में ले लेता है और अगर कवच सिस्टम को यह पता चले की ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वह पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है ||
👉आपको आसन भाषा में बताते है कि यह सिस्टम तब एक्टिव होता है जब एक ट्रैक पर दो ट्रेन आ रही होती है, कवच सिस्टम दोनों ट्रेनों को एक निश्चित दूरी पर रोक देता है ||
👉कवच टेक्नोलॉजी फिलहाल देश के कुछ ही रेलवे रूट पर उपलब्ध है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार - 31 दिसम्बर 2022 तक भारतीय रेलवे नेटवर्क के 1,455 किलोमीटर रूट को कवर किया गया है. वर्त्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरीडोर (3000 रूट कि.मी.) पर 'कवच सिस्टम' को लेकर काम जारी है. प्रत्येक वर्ष 4000 से 5000 कि.मी. में इस तकनीक को लागू किया जायेगा ||
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